Monday, April 28, 2008

अमृत की बरसे बदरिया

अमृत की बरसे बदरिया, अम्बे माँ की दुआरिया - 2
देखो, अमृत की बरसे बदरिया ओये मेरी माँ की दुआरिया............

दादुर मोर पपीहा बोले - 2 (पपीहा बोले, पपीहा बोले) -2
कूके जै हो -2 (कूके काली कोयलिया, ओ अम्बे माँ की दुआरिया)-2
अमृत की बरसे बदरिया..........

शीश मुकुट, कानों में कुण्डल-3
सोहवे-3 लाल चुनरिया, मेरी माँ की दुआरिया, देखो अमृत..............

माथे की बिन्दिया चमचम चमके -2 (चमचम चमके) -4
माथे की बिन्दिया चमचम चमके
जैसे- 3 गगन में बिजुरिया, अम्बे माँ की दुआरिया - अमृत..........

सूरज चन्दा आरती उतारे- 4 पवन बुकारे डगरिया, मेरी..........
ब्रहृ, बिष्णु, शंकर नाचे -4 शंकर नाचे, भोला नाचे -2
ओये ब्रहृ विष्णु शंकर नाचे, मोहन बजाये बाँसुरयी
मेरी माँ की बुअरिया, अमृत की बरसे..........

ओ प्रेम से बोलो जय माता दी,
ओ सारे बोलो जय माता दी,
ओ आते बोलो जय माता दी,
ओ जाते बोलो जय माता दी,
ओए कष्ट निवारे जय माता दी,
माँ पार उतारे जय माता दी,
मेरी माँ भोली जय माता दी,
भर देती झोली जय माता दी,
माँ जोड़े दर्पण जय माता दी,
माँ देके दर्शन जय माता दी,
ओ जय माता दी, जय माता दी,
जय माता दी, जय माता दी ।
http://forum.spiritualindia.org/bhajan-lyrics-collection/अमृत-की-बरसे-बदरिया-अम्बे-माँ-की-दुआरिया-2-t23253.0.html

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